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Wednesday, 9 July 2025

अकेली लड़की जिन्न का इश्क़ और मां की दुआ | मैनपुरी की एक रूहानी सस्पेंस कहानी | Bks Hindi Kahaniyan

अदीना का अटूट विश्वास
कहानी की शुरुआत अदीना नाम की एक ग़रीब मगर बेहद ख़ूबसूरत लड़की से होती है। वह उत्तर प्रदेश के मैनपुरी ज़िले में स्थित एक पुरानी और वीरान हवेली में अकेली काम कर रही थी। इस हवेली में एक जिन कई सौ सालों से किसी ख़ूबसूरत लड़की की तलाश में था। जिन ने अदीना को दौलत का लालच दिया और उसकी मोहब्बत में सब कुछ भूल बैठा। जो उसने उस मासूम लड़की के साथ किया, उसे देखकर आपकी रूह काँप जाएगी।
यह कहानी है मैनपुरी के एक पुराने मिट्टी के घर में रहने वाली अदीना की। उसकी ज़िंदगी किसी परी जैसी नहीं थी। उसके चेहरे पर मासूमियत और आँखों में चमक तो थी, लेकिन हालात ने उसकी मुस्कुराहट छीन ली थी। उसका हर दिन एक जद्दोजहद था – बीमार माँ की देखभाल, ख़ाली बर्तन, टूटी हुई छत और दिल में पलती उम्मीद की लौ। अदीना की माँ, सबीना बीबी, एक नेक दिल औरत थी, मगर पिछले 4 सालों से बीमारी के कारण बिस्तर पर पड़ी थी। शरीर कमज़ोर, दवा के पैसे नहीं और कोई क़रीबी रिश्तेदार पास भी नहीं आता था। घर के ख़र्च का कोई ज़रिया नहीं था। कई रातें यूँ ही भूखे पेट गुज़र जातीं, मगर अदीना कभी भी अपने रब से शिकवा न करती।
हर सुबह अदीना फ़ज्र की अज़ान पर उठती, अपने पुराने से ज़ाय-नमाज़ पर सजदा करती, फिर क़ुरान-ए-पाक की तिलावत करती। उसकी दुआओं में एक ही इल्तिजा होती, "या अल्लाह, मेरी माँ को शिफ़ा दे और हमें हलाल रोज़ी का ज़रिया अता फ़रमा।" गाँव में बहुत से लोगों ने उसे बुरे रास्तों की सलाह दी। कुछ ने शादी का लालच दिया, तो कुछ ने नौकरानी बनाने की पेशकश। लेकिन अदीना हर बार सिर्फ़ एक जवाब देती, "मेरे रब ने जो लिखा है, वही बेहतर है। मैं अपना सब्र नहीं बेच सकती।"
फिर एक दिन गाँव की एक बूढ़ी औरत ने उसे बताया कि जंगल के किनारे एक वीरान हवेली है, जहाँ सालों से कोई टिकता नहीं। मगर अब मालिक लोग शहर में हैं और वहाँ काम करने वाले की ज़रूरत है। मेहनत का अच्छा पैसा मिलता है। अदीना ने माँ की आँखों में झाँक कर देखा – कमज़ोरी, दर्द और बेबसी। उसने फ़ैसला कर लिया, "अगर हवेली में शैतान भी हो तो अल्लाह के कलमे और तिलावत के साथ जाऊँगी।" माँ से इजाज़त ली, दो रोटी और क़ुरान की छोटी किताब झोली में डाली और निकल पड़ी एक ऐसे रास्ते पर जहाँ उसके सब्र और ईमान की सबसे बड़ी आज़माइश होने वाली थी।
शम्स हवेली का रहस्य
जिस हवेली की तरफ़ अदीना रवाना हुई थी, उसका नाम था शम्स हवेली, जो कभी ज़मींदार नवाब कलीम शाह की रिहाइश हुआ करती थी। लगभग 100 साल पहले यह हवेली मैनपुरी के उस गाँव की सबसे आलीशान इमारत थी। संगमरमर की दीवारें, बड़े-बड़े झूमर, बाग-बगीचे और फ़व्वारे। नवाब साहब बहुत अमीर थे, मगर उनकी एक ही औलाद थी – एक लड़की मलीहा। कहते हैं कि मलीहा बेमिसाल हुस्न वाली मगर बहुत घमंडी थी। एक दिन उसकी शादी एक शरीफ़ मगर ग़रीब लड़के से तय हुई जिसे वह पसंद नहीं करती थी। उसी रात मलीहा ने ख़ुद को हवेली के सबसे ऊपरी कमरे में बंद कर लिया और सुबह उसकी लाश झूमर से लटकी हुई मिली। मगर अजीब बात यह थी कि उसके चेहरे पर गुस्से की शिकन थी, जैसे वो मरने के बाद भी किसी से नफ़रत कर रही हो।
उसके बाद उस हवेली में अजीब घटनाएँ होने लगीं। नौकर-चाकर ग़ायब होने लगे, कुछ पागल हो गए, कुछ बड़बड़ाते हुए जंगलों में भटकते पाए गए। गाँव के बुज़ुर्ग बताते हैं कि हवेली की दीवारों में किसी ने काले इल्म का सहारा लेकर जिन्नात को क़ैद किया था जो अब आज़ाद घूमते हैं। कई लोगों ने दावा किया कि रात के वक़्त हवेली से किसी लड़की की रोने की आवाज़ें आती हैं। कुछ ने झरोखों से किसी सफ़ेद लिबास वाली औरत को देखे जाने की बात कही। गाँव में बच्चे हवेली के पास जाने से डरते थे और बड़े लोग दूर से ही सलाम करके गुज़रते थे। कहते हैं जो भी वहाँ काम करने गया, ज़्यादा दिन नहीं टिक सका। कुछ ने डर के मारे छोड़ दिया और कुछ हमेशा के लिए ग़ायब हो गए। लेकिन अदीना ने जब यह सब सुना तो सिर्फ़ एक बात कही, "अगर यह हवेली जिन्नों की है तो मेरा रब भी रब्बुन्नास, मलिकन्नास, इलाहिन्नास है।" और इसी यक़ीन के साथ वो उस हवेली के फाटक से अंदर दाख़िल हुई, जहाँ दीवारों की दरारों में वक़्त छुपा हुआ था और हवाओं में मलीहा के शिकवे अब भी गूँजते थे।
कामिल, जिन्न और अदीना का सब्र
शम्स हवेली की दीवारों में बसा वह अदृश्य साया कोई आम जिन नहीं था। उसका नाम था कामिल, और वह न तो पूरी तरह से जिन था न ही पूरी तरह इंसान। वह उन रूहानी जिनों में से था जो पहले इबादतगुज़ार और फ़रिश्तों की तरह पाक हुआ करते थे। उसका रिश्ता अल्लाह से गहरा था और वह जन्नत में दाख़िल होने वाले जिन्नात की फ़ेहरिस्त में था। मगर सैकड़ों साल पहले एक इम्तिहान ने उसे तोड़ दिया। कामिल को एक इंसानी लड़की से रूहानी मोहब्बत हो गई थी। उस मोहब्बत में वह इतना डूबा कि जब वह लड़की किसी और से निकाह कर ली तो कामिल ने अपने रब से शिकायत कर दी, "तूने मेरे दिल में इश्क़ डाला, फिर उसे मुझसे दूर क्यों किया?" यह शिकवा उसे रूहानी जिन की रूह से निकालकर दुनियावी मोहब्बत में डूबे इब्लीस की सरहदों तक ले गया। वह तड़पते हुए उस हवेली में आया जहाँ मलीहा की नफ़रत और मौत की बद्दुआ से हवेली की दीवारें पहले ही शैतानी ताक़तों से भर चुकी थीं। वहाँ कामिल सालों तक अकेला भटकता रहा, एक ऐसी रूह जो मोहब्बत के नाम पर टूटी हुई थी।
जब अदीना पहली बार हवेली में दाख़िल हुई तो उसकी आवाज़, उसकी तिलावत, उसका सब्र – यह सब कामिल के उस टूटे हुए वजूद में सुकून की तरह उतरने लगे। वह हर रोज़ छुपकर उसे देखता जब वह माँ के लिए तस्बीह पढ़ती, जब वह झाड़ू लगाते वक़्त क़ुरान की आयतें बुदबुदाती, जब वह रात में आँसुओं के साथ दुआ माँगती। कामिल के लिए यह कोई आम लड़की नहीं थी। यह मोहब्बत जिस्मानी नहीं थी, बल्कि उसके रूह के उस ख़ाली हिस्से को भर रही थी जो सदियों से तन्हा था। मगर एक जिन का इंसान से इश्क़ और वह भी अल्लाह की बंदी से। क्या यह मोहब्बत पाक थी या फिर से एक गुनाह की शुरुआत? कामिल ख़ुद इस उलझन में फँसा हुआ था। मगर इस बार वह मोहब्बत को पाने के लिए हर हद पार करने को तैयार था, मगर अदीना के लिए नहीं बल्कि ख़ुद को मुकम्मल महसूस करने के लिए। और यहीं से शुरू हुआ एक ऐसा सफ़र जहाँ मोहब्बत और मखलूक़ात का फ़र्क मिटने लगा।
आजमाइश और ईश्वरीय मदद
शम्स हवेली में अदीना को आए कुछ ही दिन हुए थे। कामिल की दीवानगी हर रोज़ बढ़ रही थी। वह हर लम्हा उसे देखता, उसके आसपास रहता मगर दिखाई कभी न देता। उसके इश्क़ का तरीक़ा अजीब था – अदीना को डराना नहीं बल्कि मोहब्बत और राहत के ज़रिए झुकाना। एक रात जब अदीना माँ की दवाई ख़रीदने के लिए रो रही थी, तभी अलमारी का दरवाज़ा अपने आप खुला और एक थैली ज़मीन पर गिरी। उसमें सोने के सिक्के थे। अदीना सहम गई। वह समझ गई कि यह इंसानी करम नहीं। डरते हुए क़ुरान की तिलावत शुरू कर दी, मगर सिक्के वहीं पड़े रहे। उसी रात उसे सपने में एक आवाज़ आई, "यह तेरे लिए है अदीना। बस तेरा हाँ चाहिए। तुझे और तेरी माँ को ज़िंदगी भर कोई तकलीफ़ नहीं होगी।" अदीना की आँखें खुली और उसने उसी वक़्त सजदा किया, "या रब्बी, मुझे तेरा दिया हुआ सब्र और फ़क़्र ही काफ़ी है। मुझे किसी नज़री हिफ़ाज़त की ज़रूरत नहीं। मुझे तेरा सहारा चाहिए, न कि किसी जिन का एहसान।"
अगले दिन हवेली की दीवारें महकने लगीं, बिस्तर पर रेशमी चादरें, टेबल पर गुलाब और माँ की दवाइयाँ ख़ुद-ब-ख़ुद आ गईं। अदीना ने सब कुछ हटाया, क़ुरान की सूरह बक़रा की तिलावत की और सख़्ती से कहा, "अगर यह सब किसी छुपे मखलूक़न की तरफ़ से है तो सुन ले। मैं अल्लाह की बंदी हूँ, किसी और की नहीं।" यह पहली बार था जब कामिल को किसी इंसान ने इतने सब्र, यक़ीन और ख़ुद्दारी से इंकार किया। वह तिलमिला गया, मगर अदीना की दुआओं की ताक़त से पीछे हट गया। उस रात अदीना ने माँ के पैरों पर हाथ रखकर दुआ माँगी, "या अल्लाह, तू ग़रीबों का मददगार है। तू मेरा और मेरी माँ का भी रब है। अगर तू चाहे तो बिना किसी जिन या इंसान के मेरी मुश्किलें दूर कर सकता है।"
अगली सुबह मैनपुरी गाँव के एक भले इंसान, हाफ़िज़ उमर साहब, अचानक हवेली आए और बोले, "बेटी, दिल में अजीब खिंचाव महसूस हुआ। लगा कि किसी पाक रूह को मदद की ज़रूरत है।" अदीना की आँखों में आँसू आ गए। कामिल देख रहा था और अब उसकी मोहब्बत को एक नई चुनौती मिल चुकी थी – अदीना का अल्लाह पर अटूट यक़ीन।
हाफ़िज़ साहब की रहनुमाई
हाफ़िज़ उमर जब हवेली पहुँचे तो अदीना ने उन्हें पूरी बात बताई – सोने की थैली, सपनों में आवाज़ें, रेशमी चादरें और माँ की दवाइयाँ। हाफ़िज़ साहब गहरी साँस लेते हुए बोले, "बेटी अदीना, तू जिस इम्तिहान से गुज़र रही है, वह सिर्फ़ तेरी नहीं। हर उस मोमिन की कहानी है जो तवक्कुल का असली मतलब नहीं समझता। याद रखो जो अल्लाह पर भरोसा करता है, अल्लाह उसके लिए काफ़ी है।" फिर उन्होंने समझाया कि तवक्कुल का मतलब सिर्फ़ दुआ करना नहीं, बल्कि यह यक़ीन रखना है कि मदद सिर्फ़ वहीं से आएगी जहाँ से कोई देख भी नहीं सकता – सिर्फ़ अल्लाह की तरफ़ से। अदीना ने आँसुओं के साथ सिर हिलाया। हाफ़िज़ साहब ने उसे शैतानी वसवसे बचने का तरीक़ा भी बताया, "जब भी तुम्हें कोई अनजानी आवाज़ या लालच महसूस हो, 'आउज़ुबिल्laahi मिनश शैतानिर रजीम' पढ़ो और सूरह फ़लक और सूरह नास की तिलावत करो। इन दो सूरहों को 'मुअज़्ज़तैन' कहा गया है। यह हर बुराई से पनाह देती है।" उन्होंने एक छोटी सी तस्बीह अदीना को दी और कहा, "जब भी तुम्हें डर लगे, 33 बार 'या हफ़ीज़ु' और 33 बार 'या मुतकब्बिरु' पढ़ा करो। अल्लाह की हिफ़ाज़त तेरे चारों तरफ़ ढाल बन जाएगी।"
अदीना ने पूछा, "मगर हाफ़िज़ साहब, क्या जिन वाक़ई होते हैं? क्या वो हम इंसानों को नुक़सान पहुँचा सकते हैं?" हाफ़िज़ साहब मुस्कुराए और बोले, "हाँ, जिन का वजूद क़ुरान से साबित है। सूरह अल-जिन पूरी की पूरी जिन्नों के बारे में है। नबी-ए-पाक ने भी जिन्नों को दावत दी थी और उन्हें क़ुरान सुनाया था। मगर जो जिन शैतान की राह पर होते हैं, वह इंसानों को वसवसे और धोखे से गुमराह करते हैं।" फिर उन्होंने हदीस सुनाई, "शैतान इंसान की रगों में ख़ून की तरह दौड़ता है, मगर ज़िक्रुल्लाह उस शैतान को निकाल देता है।"
उस दिन के बाद अदीना ने हवेली के हर कमरे में सूरह बक़रा की तिलावत शुरू कर दी। कामिल हर रोज़ यह सब सुनता। उसका दिल जलता मगर अजीब तरह से सुकून भी महसूस करता। उसे पहली बार एहसास हुआ कि अदीना की मोहब्बत पाने के लिए उसे अदीना के रब से टकराना नहीं बल्कि उसके रब को समझना पड़ेगा।
मां की दुआ और जिन्न की हार
मैनपुरी गाँव की मस्जिद के पास एक पुरानी नीम के पेड़ की छाँव में बैठा एक बुज़ुर्ग अक्सर तस्बीह घुमाता रहता था। उसका नाम था हाफ़िज़ उमर। उम्र 65 साल मगर आँखों में रौशनी और दिल में वह जज़्बा था जो जवानों को भी मात दे दे। गाँव में कोई बीमार हो, किसी को फ़ातिहा पढ़वानी हो, किसी के बच्चे की तालीम की बात हो, लोग सबसे पहले हाफ़िज़ साहब को याद करते। उनका हर लफ़्ज़ क़ुरान और हदीस से बँधा होता था। उनकी आवाज़ में ऐसी रूहानियत थी कि अदीना जैसी बच्चियाँ उनके सामने बैठकर तिलावत सीखतीं और बूढ़े लोग उनकी दुआओं से राहत पाते।
एक रात जब वह तहज्जुद के वक़्त नमाज़ में मशगूल थे, उनके दिल में एक बेचैनी सी हुई जैसे किसी पाक रूह को मदद चाहिए। उन्होंने उसी वक़्त साज़ो-सामान समेटा, क़ुरान-ए-पाक और रूहानी किताबें उठाईं और हवेली की तरफ़ रवाना हुए। अदीना उन्हें देखकर चौंकी। जब उसने अपनी हालत बयान की तो हाफ़िज़ साहब ने उसके सिर पर हाथ रखते हुए कहा, "बेटी, तू मोहब्बत और शैतान के वसवसों के बीच फँसी है। मगर याद रख, अल्लाह की रज़ा से बढ़कर कुछ नहीं।" उन्होंने हवेली के हर कमरे में सूरह बक़रा, आयतुल कुर्सी और सूरह जिन्न की तिलावत शुरू कर दी। हाफ़िज़ साहब ने एक पाक पानी से भरी शीशी दी जिस पर उन्होंने 41 बार सूरह फ़ातिहा और सूरह इख़्लास पढ़ी थी। उन्होंने कहा, "इस पानी को हर कमरे में छिड़क देना और रात में सूरह नास, सूरह फ़लक और आयतुल कुर्सी ज़रूर पढ़ना। यह जिन की आग को ठंडा करती है।" कामिल जो दीवारों के पीछे से सब देख रहा था, पहली बार ख़ुद को कमज़ोर और डगमगाता हुआ महसूस करने लगा। उसके लिए यह सिर्फ़ एक हाफ़िज़ नहीं बल्कि एक रूहानी योद्धा था जो सिर्फ़ अल्फ़ाज़ नहीं, कलामुल्लाह की रौशनी से लड़ रहा था।
हाफ़िज़ उमर अब अदीना की निगरानी में थे। वह उसे सिर्फ़ जिन से नहीं बल्कि हर उस रास्ते से बचाना चाहते थे जो उसे अल्लाह से दूर कर सकता था। उन्होंने कहा, "अदीना, तुझे सिर्फ़ जिन से नहीं, अपने ही नफ़्स से भी लड़ना है। मोहब्बत की आग तभी रौशनी बनती है जब उसमें अल्लाह की रज़ा शामिल हो।" और अब हवेली में एक तरफ़ कामिल का इश्क़ बढ़ता जा रहा था और दूसरी तरफ़ हाफ़िज़ उमर की दुआओं और क़ुरान की रौशनी से हवेली बदलने लगी थी। हवेली के अंदर जिन और इंसान के बीच एक ख़ामोश जंग चल रही थी।
मगर उस हवेली से दूर, गाँव की कच्ची झोपड़ी में एक औरत, एक माँ अपने रब के सामने झुकी हुई थी। सबीना बीबी, अदीना की माँ, अब भी बिस्तर पर थीं, मगर उनकी रूह हर रोज़ तड़प रही थी। बेटी की इज़्ज़त, उसके ईमान और उसकी तन्हा ज़िंदगी की चिंता उनके दिल को जला रही थी। अदीना के जाने के बाद उन्होंने खाना कम कर दिया था, मगर सजदे ज़्यादा। हर रात वह अल्लाह से रो-रो कर कहती, "या रब्बी, तू जानता है मेरी बेटी कैसी है। वह तेरी राह पर है। तेरी किताब से मोहब्बत करती है और मैंने उसे तुझ ही पर छोड़ा है। तू उसे किसी गुमराही, किसी जिन, किसी इंसानी या शैतानी ताक़त से बचा लेना।" एक रात जब हवेली में अदीना क़ुरान पढ़ रही थी और कामिल दीवार की ओट से उसे देख रहा था, तभी उसे एक अजीब रूहानी कंपन महसूस हुआ। जैसे कोई नामालूम रौशनी हवेली में दाख़िल हो गई हो। कामil पीछे हटा और पहली बार उसे घुटन महसूस हुई। उस घड़ी में गाँव की उसी झोपड़ी में सबीना बीबी सजदे में थीं और कह रही थीं, "या अल्लाह, अगर मेरी बेटी की हिफ़ाज़त के लिए मेरी ज़िंदगी चाहिए तो तू मुझे उठा ले, मगर उसे हर बुराई से बचा ले।" उनकी यह दुआ आसमानों को चीरती हुई अर्श तक पहुँची। कहते हैं, माँ की दुआ अगर सच्चे दिल से निकले तो वह तकदीर भी बदल सकती है। और उस रात कामिल को एहसास हुआ कि अदीना अकेली नहीं है। वह उस माँ की दुआओं की हिफ़ाज़त में है जिसे अल्लाह से सीधा रिश्ता है। अगले दिन अदीना को हवेली की एक खिड़की से सफ़ेद रौशनी सी दिखी और दिल में एक अजीब सुकून – वह समझ गई, उसकी माँ ने ज़रूर दुआ की होगी और रब ने ज़रूर सुनी होगी। उसने क़ुरान की एक आयत दोहराई, "उज़ कुरूनी अज कुरकुम" (तुम मुझे याद करो, मैं तुम्हें याद करूँगा)। अदीना के बार-बार इंकार और अल्लाह के नाम से पनाह माँगने से कामिल की मोहब्बत धीरे-धीरे दर्द में और फिर जुनून में बदलने लगी थी। पहले वह अदीना के आसपास रहकर बस सुकून महसूस करता था। अब उसे उसकी हर बात में अपनी तौहीन महसूस होने लगी, "मैंने उसे सब कुछ देना चाहा – अमीरी, राहत, उसकी माँ की शिफ़ा तक... और उसने मुझे ठुकरा दिया। सिर्फ़ इसलिए कि मैं जिन हूँ।"

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Tuesday, 8 July 2025

अकेली लड़की, एक पागल आदमी और एक भयानक रहस्य | जंगल में खोई लिली की सच्ची कहानी

कहानी की शुरुआत लिली नाम की एक लड़की से होती है, जो अपने कठोर पिता के कारण घर छोड़ने का फैसला करती है। वह अपने बॉयफ्रेंड नील के साथ जंगल में निकल पड़ती है। जब वे थक जाते हैं, तो थोड़ा आराम करने के लिए रुकते हैं। आराम करते समय, लिली अपने माता-पिता की याद में थोड़ी उदास हो जाती है और उन्हें कॉल करने का मन बनाती है। लेकिन नील उसे रोक लेता है और कहता है कि अब वापस जाने का कोई फ़ायदा नहीं, उन्हें आगे बढ़ना चाहिए।
वे अपना सफ़र फिर से शुरू करते हैं, और थोड़ी देर बाद उन्हें एहसास होता है कि उनका पानी खत्म हो गया है। अंधेरा होने लगता है, तो वे रात गुज़ारने के लिए कैंप लगाने का फ़ैसला करते हैं। लिली टेंट लगाती है, जबकि नील पानी खोजने के लिए जाता है। टेंट के अंदर बैठी लिली को पता चलता है कि नील उसका फोन भी साथ ले गया है। वह पूरी रात नील का इंतज़ार करती है, लेकिन वह वापस नहीं आता।


अगले दिन सुबह, लिली बेचैनी से अकेले चलना शुरू करती है। अचानक उसे पास ही जंगली जानवरों की आवाज़ें सुनाई देती हैं। लिली भागते हुए एक घर तक पहुँचती है और उसकी ओर लपकती है। वहाँ एक आदमी उसे अंदर आने का इशारा करता है, जिसका नाम एवन है। लिली तुरंत उससे अपने बॉयफ्रेंड को कॉल करने के लिए लैंडलाइन फ़ोन इस्तेमाल करने की इजाज़त मांगती है। लेकिन जब एवन उसे ज़ोर देता है कि वह घर आकर पहले नहा ले, तो लिली को कुछ अजीब सा लगता है। वह घर से बाहर जाने का फ़ैसला करती है और अपना मन बदल लेती है, लेकिन एवन उसे जाने नहीं देता और ज़बरदस्ती उसे वापस अंदर खींच लेता है।
एवन अपने पहले वाले व्यवहार के लिए माफ़ी मांगता है, और धीरे-धीरे लिली को एहसास होता है कि वह सचमुच मानसिक रूप से बीमार है। वह फिर भी जाने की कोशिश करती है, लेकिन एवन उसे डांटता है और ज़बरदस्ती एक कमरे में घसीट लेता है। जब उसे ज़बरदस्ती कमरे में बंद कर दिया जाता है, तो वह दीवारों पर गुमशुदा लोगों के अख़बार की कटिंग देखती है। वह बहुत ज़्यादा डर जाती है और चारों ओर कुछ ऐसा ढूंढने लगती है जिससे वह एवन का मुक़ाबला कर सके। लिली को एक हथौड़ा मिलता है, लेकिन एवन, जो साफ़ तौर पर गुस्से में होता है, उसके हाथों से हथौड़ा छीन लेता है और उसे कमरे से बाहर नहीं जाने देता। फिर वह कमरे से बाहर निकल जाता है और अपने घर का सुरक्षा सिस्टम एक्टिवेट कर देता है, जिससे घर के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं।


इसके बाद, वह दोबारा लिली के पास आता है और इस बार उसे खाना देता है और कहता है कि उसे अब नहाना होगा। लिली, जो अब उलझी हुई और डरी हुई होती है, उससे कहती है कि उसे जाने दे। एवन उसे ज़बरदस्ती बेसमेंट में ले जाता है, जहाँ एक ट्रेडमिल पड़ी होती है और बे-वजह कहता है कि उसे उस पर चलना चाहिए। फिर एवन बेसमेंट से बाहर चला जाता है, जब लिली उससे कहती है कि उसे अकेला छोड़ दे।
अगले दिन, एवन को सुबह का अख़बार पढ़ते हुए दिखाया जाता है, जिसमें यह ख़बर आती है कि दो लोग गायब हो गए हैं, जिनमें एक नील और दूसरी लिली है। वह दोबारा लिली के पास आता है और लिली एक बार फिर उसकी मिन्नत करती है कि वह उसे जाने दे। एवन उसे अनदेखा करता है और बताता है कि उसे जीतने के लिए ट्रेनिंग करनी होगी, मगर वह यह नहीं बताता कि उसे किस चीज़ को जीतना है।
अब दिन गुज़र जाता है और रात को एवन लिली को सोने के लिए बिस्तर देता है। वह उसे कुछ खाना भी देता है और उसके साथ बैठता है जब वह सो जाती है। 

अगले दिन, एवन दोबारा कमरे में आकर लिली से कहता है कि वह चटाई पर लेट जाए। लेकिन इसके बजाय कि वह उसे कोई नुकसान पहुँचाए, एवन कहता है कि लिली को कसरत शुरू करनी चाहिए। लिली शुरू में उलझी हुई होने के बावजूद उसकी बात मान लेती है। लेकिन फिर अचानक उसे अपने बाप के जुल्म और ज्यादती याद आती है और वह गुस्से में आकर एवन को लात मार देती है। अजीब बात यह है कि एवन उसे अकेला छोड़ देता है। वह सिर्फ़ खाना देने के लिए वापस आता है, मगर इस शर्त पर कि लिली को अपनी कसरत पूरी करनी होगी। लिली, जो भूखी होती है, आख़िर हार मान लेती है और जो वह कहता है वही करती है।
एवन मानसिक रूप से बीमार है, मगर यह बात सामने आती है कि वह अपनी बात का पक्का आदमी है, क्योंकि वह लिली को खाने के कमरे तक ले जाता है। इस वक़्त किसी वजह से एवन लिली को कैथरीन के नाम से पुकारना शुरू कर देता है। लिली अभी ख़ामोश रहती है और उसे झेलती है और चुपके से इधर-उधर देखती है कि कहीं कुछ ऐसा मिल जाए जो उसे फ़रार होने में मदद दे सके। लिली एक चाकू पकड़ने की कोशिश करती है, लेकिन फिर एवन उससे वह चाकू छीनकर ले लेता है और खाने को छोटे टुकड़ों में काट कर उसे खाने के लिए देता है। फिर वह वापस अपनी सीट पर बैठ जाता है जैसे कुछ हुआ ही ना हो और चाकू भी अपने साथ ले आता है। लिली, जो अब पहले से ज़्यादा मायूस और गुस्से में होती है, गुस्से में आकर अपने खाने के टुकड़े फेंकना शुरू कर देती है। आख़िर एवन अपना सब्र खो बैठता है और उसे बेसमेंट में जाने का हुक्म देता है।
कैथरीन का भ्रम और लिली का संघर्ष
इसी दिन बाद में एवन दोबारा लिली के पास आता है और उसे कहता है कि वो स्पोर्ट्सवियर पहन ले जो उसने उसे दिया था। फिर वो ट्रेडमिल सेट करता है और लिली से कहता है कि वो उस पर चले। इस दौरान एवन का भाई उससे मिलने आता है ताकि उसे देखे कि वह कैसा है।

 एवन ख़ुश होकर अपने भाई को बताता है कि कैथरीन वापस आ गई है और अब नीचे कसरत कर रही है। इस पर उसका भाई चिंतित हो जाता है और उसे यक़ीन होता है कि एवन अपनी दवाइयाँ लेना भूल गया है। एवन का भाई उसे सलाह देता है कि वह इलाज करवाए और यह बात एवन को बहुत बुरी लगती है क्योंकि वह समझता है कि वह बिल्कुल ठीक है। यहाँ हमें यह पता चलता है कि एवन को मानसिक भ्रम का विकार (delusional disorder) है। दोनों भाइयों के दरमियान बहस शुरू हो जाती है और उसका भाई नाराज़ होकर वहाँ से चला जाता है। थोड़ी देर बाद एवन दोबारा बेसमेंट में आकर लिली से मिलता है और लापरवाही से बताता है 
कि उसका चाचा अभी-अभी उससे मिलने आया था। यह सुनकर लिली को थोड़ी सी उम्मीद मिलती है, लेकिन बदकिस्मती से बहुत देर हो चुकी होती है, क्योंकि एवन का भाई पहले ही वहाँ से जा चुका होता है।
फिर लिली फ़ैसला करती है कि वह एवन के झूठ में शामिल हो जाए और एवन से कहती है कि वह अपने चाचा से मिलना चाहती है। एवन फिर लिली से कहता है कि वह तैयार होकर आ जाए। जब लिली नहा रही होती है, तो एवन बिस्तर ठीक कर रहा होता है।

 एवन अब अपनी बीमारी में इतना खो चुका होता है कि उसे पूरा यक़ीन हो जाता है कि लिली ही उसकी बेटी कैथरीन है। लिली बहुत बेचैन और मजबूर होती है, इसलिए फ़ैसला करती है कि वह उसके झूठ को जारी रखेगी और उसके कहने पर कैथरीन के कपड़े पहनने पर भी राज़ी हो जाती है।
बाद में लिली को एक तस्वीर मिलती है जिसमें कैथरीन अपने माता-पिता के साथ होती है, और उसे बिस्तर के नीचे कैथरीन की डायरी भी मिलती है। कुछ वक़्त निकालकर वह उसको पढ़ती है। फिर बेडरूम से बाहर निकल आती है और चुपके से फ़रार होने की कोशिश करती है। एवन लिली को पकड़ लेता है और पूछता है कि वह कहाँ जा रही है। लिली कहती है कि वह बस यह देखना चाहती है कि क्या उसे खाना पकाने में उसकी मदद की ज़रूरत है। एवन उसे ख़ुशी से किचन में आने की इजाज़त देता है और लिली को फिर से उसके झूठ में शामिल होने पर मजबूर होना पड़ता है। जब लिली सोचती है कि एवन नहीं देख रहा तो वह दोबारा चुपके से बाहर निकलने की कोशिश करती है, लेकिन नाकाम हो जाती है। इस बार एवन उसे कैथरीन के कमरे में वापस जाने को कहता है।
अब कुछ और करने के लिए नहीं बचता तो लिली फ़ैसला करती है कि वह कैथरीन की डायरी पढ़ेगी। 
डायरी में लिली यह देखती है कि एवन एक बहुत ही ज़्यादा गुस्सा करने वाला और डरपोक इंसान था जो मामूली सी ग़लतियों पर भी कैथरीन को सज़ा देता था, जैसे छुपन-छुपाई के खेल में हार जाना।

 इसके अलावा, वह हमेशा उससे ज़बरदस्ती अभ्यास करवाता था ताकि वह स्पोर्ट्स में चैंपियन बन सके। यह बात उसकी माँ के नज़दीक बिल्कुल भी मुनासिब नहीं थी क्योंकि इतनी ज़्यादा कसरत एक 12 साल की लड़की के लिए सामान्य नहीं थी और यही वजह थी कि उनके दरमियान हमेशा बहस होती रहती थी जिसकी वजह से उनमें बहुत लड़ाई होती थी। जब लिली आगे पढ़ती है, तो उसे पता चलता है कि जब कैथरीन को एक मेडिकल कंडीशन हुई तो एवन को समझ नहीं आया कि उसे किस तरह ठीक करना है क्योंकि वह इस बीमारी को बिल्कुल नहीं समझता था। यह जानकर लिली के दिमाग़ में एक विचार आता है। लिली फ़ैसला करती है कि वह एवन को बुलाएगी और उससे कुछ दवाइयाँ लाने को कहेगी। एवन इस हरकत को सच मान लेता है। 
घर से बाहर निकलने से पहले वह उसे कहता है कि वह दोबारा बेसमेंट में जाकर कसरत करे। फिर लिली और आगे पढ़ती है, लेकिन अचानक उसे एवन वापस आता हुआ सुनाई देता है, तो वह पानी इस्तेमाल करके ऐसा दिखाती है जैसे वह कसरत कर रही हो।
नील की वापसी और एक नया मोड़
अब जैसे ही एवन अपने गैराज में गाड़ी पार्क करता है, अचानक नील आकर उससे पूछता है कि क्या एवन ने उसकी गुमशुदा गर्लफ्रेंड को देखा है। अब एवन, जो कि गहरे भ्रम का शिकार होता है, लिली की तस्वीर देखकर उसे शक होने लगता है कि नील को उसके भाई ने भेजा है ताकि एवन को मानसिक अस्पताल लेकर जाए। वह नील से कहता है कि वह यहाँ से चला जाए और यहाँ तक कि पुलिस को कॉल करने की धमकी भी देता है। अंदर वापस आकर एवन लिली से कहता है कि वह अपनी ऊँचाई नापे। एक लम्हे के लिए वह यक़ीन नहीं कर पाता कि क्या हो रहा है। 


जब वह यह समझता है कि लिली की ऊँचाई कैथरीन से छोटी है, अपने झूठ को बरकरार रखने के लिए लिली अपनी एड़ियों पर खड़ी हो जाती है ताकि वह ख़ुद को ज़्यादा लंबा दिखा सके। फिर एवन उसे रस्सा कूदने को कहता है। लिली, जो उसकी बातों से थक चुकी होती है, आख़िर उसे मारना शुरू कर देती है। लिली उसे रस्से से कई बार मारती है और फ़रार होने की कोशिश करती है, लेकिन दरवाज़ा बंद होता है। फिर वह एवन से कहती है कि वह उसे कमरे की चाबियाँ दे, लेकिन एवन जवाबी हमला करता है और उस पर चिल्लाता है जिससे वो रोने लगती है।
उस रात लिली कैथरीन की डायरी दोबारा पढ़ना शुरू करती है और यह देखती है कि एवन की पत्नी की एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई थी जिसके बाद कैथरीन एवन के साथ अकेली रह गई थी। इसी दौरान एवन लिली को खाने के लिए बुलाता है और वह तुरंत उसके साथ डाइनिंग रूम में आ जाती है। एवन, जो कि पहले गंभीर रूप से मार खा चुका होता है, फिर भी लिली के लिए उसी तरह वह सब कुछ करता रहता है जैसे हमेशा करता आया है। 
अब लिली ने जो कुछ किया था उसे वह बुरा लगने लगता है और वह एवन से माफ़ी मांगती है। वह एवन से यह कहने की कोशिश करती है कि उसे जल्द ही स्कूल जाना होगा क्योंकि स्कूल की छुट्टियाँ ख़त्म होने वाली हैं, लेकिन एवन ठंडे अंदाज़ से कहता है कि उसे घर पर पढ़ाया जाएगा। फिर रात के खाने के बाद वह उससे छुपन-छुपाई खेलने को कहता है, जो वह कैथरीन के साथ खेला करता था। लिली खेल में उसका साथ देती है और एक चोट लगने का ड्रामा करती है जो हक़ीकत में एक चाल होती है ताकि वह कैथरीन की डायरी को ज़्यादा देर तक पढ़ सके।


एक भयानक अंत। 
अब अगले दिन अचानक भूकंप आ जाता है। एवन उसे बाहर एक सुरक्षित जगह पर ले जाता है और इसके बाद वे भूकंप की वजह से घर में होने वाली गंदगी साफ़ करने लगते हैं। लिली एवन की एक फ़्रेम की हुई तस्वीर देखती है जिसमें वह रेस ख़त्म कर रहा होता है और वह उसे बताता है कि वह सिर्फ़ यह चाहता है कि उसकी बेटी उसके नक़्शे क़दम पर चलकर एक ट्रैक एथलीट बने। अगले दिन, एवन और लिली बैकयार्ड में होते हैं जब वह उसे दौड़ के चक्कर लगाने को कहता है और वह फिर से भागने की कोशिश करती है।
 वह मुख्य गेट की तरफ़ भागती है, लेकिन एवन ने गेट को ज़ंजीर से बंद कर रखा होता है और पिछली बार की तरह वह नाकाम हो जाती है। लेकिन उनकी छोटी सी लड़ाई के नतीजे में लिली का टख़ना मुड़ जाता है। अपनी चोट के साथ लिली अपने भागने के प्लान को एक तरफ़ कर देती है और अपने आप से वादा करती है कि जब वह ठीक हो जाएगी तो ख़ुद को तेज़ भागने के लिए ट्रेन करेगी। इस दौरान वह अपने दिन गुज़ारती है और कैथरीन बनने का ड्रामा करती है।
महीने गुज़र जाते हैं और लिली एवन की तरफ़ से की जाने वाली ट्रेनिंग की आदी हो जाती है। वक़्त के साथ-साथ लिली और एवन में अजीब सा जुड़ाव महसूस होने लगता है। इस वक़्त ऐसा लगता है कि लिली एवन को अपना बाप समझने लगी है। एवन लिली पर बहुत फ़ख़्र करता है जब वह कैथरीन के पुराने ट्रेनिंग रिकॉर्ड्स तोड़ देती है। इसके बाद हम एक सीन देखते हैं जहाँ एवन बताता है कि उसने लिली को एक ट्रैक कंपटीशन के लिए रजिस्टर करवा दिया है और उनके पास ट्रेनिंग के लिए सात हफ़्ते हैं। 

यह सुनकर लिली उसकी तैयारी के लिए बहुत ज़्यादा ख़ुश नज़र आती है और वह जानबूझकर एवन के साथ आख़िरी यादगार के तौर पर एक सेल्फ़ी लेती है। उस रात जब लिली सो रही होती है, तो एवन उसके पास आता है और कैथरीन की माँ के एक्सीडेंट में मरने पर लिली से माफ़ी मांगना शुरू करता है। यहाँ यह पता चलता है कि कैथरीन ने एवन को अपनी माँ की मौत का ज़िम्मेदार समझकर छोड़ दिया था |

अगले दिन सुबह, लिली दोबारा छुपकर भागने की कोशिश करती है, लेकिन एवन उसे रोक कर कहता है कि वह आज आराम करे। इसके बाद एवन उसे एक गिफ़्ट देता है और कहता है कि आज कैथरीन का जन्मदिन है। लिली कैथरीन के कमरे में गिफ़्ट खोलती है जहाँ उसे एक नया स्मार्टफ़ोन मिलता है। लिली नए फ़ोन में अपने बॉयफ्रेंड का नंबर टाइप करती है और उसे सेव कर लेती है। फिर एवन कहता है कि वह उसके लिए जन्मदिन का केक खरीदने जा रहा है। जब एवन चला जाता है, तो लिली इस मौक़े का फ़ायदा उठाकर आख़िर बाहर निकलती है और आज़ादी की तरफ़ दौड़ पड़ती है।


वापसी पर एवन घर के बाहर किसी को देखता है। जब वह बाहर निकलता है, तो उसे अपनी असली बेटी नज़र आती है। जो चीजें वह अभी ख़रीद कर आया था वह उसे दे देता है और अपनी मानसिक बीमारी की वजह से वह हैरान नहीं होता और तुरंत अपनी काल्पनिक बेटी लिली को भूलकर दोबारा कैथरीन को बेटी मान लेता है। इसके बाद वह दोनों घर के अंदर जाते हैं। कैथरीन हैरान नज़र आती है क्योंकि उसे अपनी अचानक वापसी पर एवन से ज़्यादा ख़ुशी की उम्मीद थी। एवन तुरंत उसे कहता है कि वह अपने कमरे में जाए जब वह जन्मदिन का सरप्राइज़ तैयार करता है। जैसा कि कैथरीन उलझन में होती है, वह उसकी बात मानती है और अपने कमरे में बैठ जाती है जहाँ उसे अपनी पुरानी डायरी मिलती है। जब वो डायरी के पन्नों को देखती है, तो उसे कुछ पन्नों पर नए नोट्स मिलते हैं जो उसने नहीं लिखे होते। यहाँ यह बात सामने आती है कि लिली भाग नहीं रही थी और आख़िर वह कैथरीन के सामने आती है।


कैथरीन पूरी तरह से उलझन में पड़ जाती है क्योंकि लिली, जो अब थोड़ा अजीब व्यवहार करती है, यह बताना शुरू करती है कि वो कैथरीन का छोटा वर्ज़न है जो उसी की तरह कपड़े पहनती है, खाती है, जीती है और साँस लेती है जैसे वह करती थी और उसने कैथरीन के ट्रैक रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिया है। लिली यह भी कहती है कि वह अपनी नई ज़िंदगी जीते हुए बहुत ख़ुश है जो कैथरीन को और ज़्यादा डरा देती है।
फिर लिली कैथरीन को इल्ज़ाम देती है कि उसने एवन को छोड़ दिया जिससे उसकी मानसिक हालत ख़राब हो गई और उसने उसे अपनी बेटी बनाकर किडनैप कर लिया। वह कैथरीन से कहती है कि कैथरीन को कार एक्सीडेंट के बाद अपने बाप का साथ देना चाहिए था बजाय इसके कि वो उसे छोड़ देती। लिली को अपने असली बाप के मुक़ाबले में एवन के लिए ज़्यादा मोहब्बत महसूस होती है और कैथरीन को यह नहीं पता कि एक जानवर जैसे बाप के साथ ज़िंदगी गुज़ारना कैसा होता है।

 एवन के साथ लिली को मोहब्बत और ख़्याल रखे जाने का एहसास होता है। दूसरे लफ़्ज़ों में, लिली कैथरीन बनने का ड्रामा जारी रखने से इनकार करती है और एक चाकू उठाकर कैथरीन पर वार करने की कोशिश करती है जिससे उसकी मौत हो जाती है।
अब एक मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति की तरह, लिली एवन के साथ कैथरीन का जन्मदिन मनाने लगती है। एवन एक बार फिर अपनी दिमागी बीमारी की वजह से अपनी असली बेटी कैथरीन को भूल जाता है और एक बार फिर लिली को अपनी बेटी के तौर पर कबूल कर लेता है। लिली उससे पूछती है कि क्या वे दोनों शहर में साथ घूमने जा सकते हैं और एवन मान जाता है। जाने से पहले लिली फ़ैसला करती है कि अपने बॉयफ्रेंड का नंबर अपने फ़ोन से डिलीट कर दे और अपने नए मोहब्बत करने वाले बाप के साथ अपनी ज़िंदगी को आगे बढ़ाए। यहीं पर कहानी ख़त्म हो जाती है।

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Saturday, 22 March 2025

एक अधूरी मोहब्बत | एक दर्दभरी प्रेम कहानी

"एक अधूरी मोहब्बत"
शहर के व्यस्त चौक पर अभी-अभी आदित्य नाम का एक लड़का रिक्शे से उतरा था। यह चौक लोगों से भरा हुआ था, सड़क के किनारे लगी दुकानें रोशनी में चमक रही थीं। आदित्य यहीं बने एक छोटे से फूड स्टॉल में काम करता था। उसी स्टॉल पर स्नेहा नाम की लड़की भी काम करती थी।

आदित्य स्टॉल के अंदर जाकर स्नेहा से कहता है, "तुम्हारी शिफ्ट पूरी हो गई है, अब तुम घर जा सकती हो।"
स्नेहा अंदर चली जाती है, लेकिन तभी आदित्य की नज़र सामने वाली इमारत पर पड़ती है। उस इमारत में उसकी पड़ोसन नेहा अकेली रहती थी। वह खिड़की के पास खड़ी थी, लेकिन उसने आदित्य की तरफ देखा तक नहीं।
स्नेहा आदित्य को उसकी तरफ देखते हुए देख लेती है और कहती है, "तुम्हें उससे दूर रहना चाहिए। मैंने सुना है कि नेहा अच्छी लड़की नहीं है। वो पैसे लेकर लड़कों की इच्छाएँ पूरी करती है। तुम्हें अपने काम पर ध्यान देना चाहिए।"
आदित्य उसकी बात अनसुनी कर देता है। उसके हाथ में मोबाइल होता है, और वह चुपचाप नेहा की तस्वीरें खींचने लगता है। कुछ ही देर में नेहा अंदर चली जाती है।
थोड़ी देर बाद, आदित्य पैसे गिन रहा था। इस स्टॉल का मालिक कोई और था, लेकिन उसे और स्नेहा को सैलरी के अलावा टिप के पैसे भी मिलते थे। अचानक, नेहा स्टॉल के पास आकर कहती है, "मुझे मीट मसाला चाहिए।"
आदित्य जल्दी-जल्दी मीट मसाला बनाने लगता है, लेकिन गलती से मीट नीचे गिर जाता है। वह माफी माँगता है, लेकिन नेहा कुछ नहीं कहती और बस उसकी तरफ देखकर मुस्कुराती है।
"काश, वो मुझे भी उसी तरह देखती जैसे मैं उसे देखता हूँ," आदित्य के मन में ख्याल आता है।
रात को जब स्टॉल बंद होने वाला था, तभी आदित्य का फोन बजता है। उसके पिता फोन पर कहते हैं, "बेटा, कुछ पैसों की ज़रूरत है।"
लेकिन आदित्य के पास पैसे नहीं थे। वह अपनी सेविंग के पैसे देखता है और सोचने लगता है कि जल्दी से पैसे कमाने का कोई और तरीका होना चाहिए।
तभी, एक लड़की उसके पास आती है और कहती है, "क्या तुम जल्दी पैसे कमाना चाहते हो?"
आदित्य चौंक जाता है। वह कहता है, "हाँ, लेकिन कैसे?"
लड़की उसे एक गली में ले जाती है, और फिर वहाँ उसके साथ वह सब करती है, जिसकी उसे उम्मीद नहीं थी। उसके बाद, वह उसे थोड़े से पैसे पकड़ाकर चली जाती है।
अगली सुबह, आदित्य की शिफ्ट खत्म हो चुकी थी और स्नेहा की शिफ्ट शुरू हो गई थी। लेकिन आदित्य की नज़र नीचे गिरे हुए एक बैग पर पड़ी।
उसने बैग उठाकर देखा तो उसमें नशे का सामान था। उसे लगा कि यह बैग विक्रम का होगा—विक्रम वही आदमी था, जो अक्सर नेहा के पास आता-जाता था।
आदित्य ने बैग अपने पास रख लिया और फिर उसमें से एक लिफाफा निकालकर मीट मसाले में डाल लिया। इसके बाद, वह सीधे नेहा के घर की तरफ बढ़ा।
"तुम्हारा दोस्त अपना बैग यहाँ भूल गया था," आदित्य ने कहा और उसे बैग पकड़ा दिया।
नेहा ने उससे पैसों के बारे में पूछा, लेकिन आदित्य ने पैसे लेने से मना कर दिया।
"मैं मीट मसाला फिर से खाना चाहती हूँ, लेकिन इस बार तुम्हें पैसे लेने होंगे," नेहा ने कहा और आदित्य को पैसे पकड़ाकर चली गई।
रात होते ही आदित्य ने स्टॉल खोली, लेकिन उसका मन काम में नहीं लग रहा था। स्नेहा ने उससे पूछा, "क्या हुआ? आज इतने उदास क्यों हो?"
आदित्य ने कहा, "मुझे नेहा की चिंता हो रही है। पता नहीं, वो कैसी लड़की है जो अपने पैसे कमाने के लिए यह सब करती है।"
स्नेहा को गुस्सा आ गया। "तुम उसके लिए इतना परेशान क्यों हो? वह सब कुछ अपनी मर्जी से कर रही है! मैं तुमसे प्यार करती हूँ, लेकिन तुमने कभी मेरी तरफ वैसे नहीं देखा!"
गुस्से में आकर स्नेहा ने आदित्य को चूमा। देखते ही देखते, दोनों इतने करीब आ गए कि आदित्य ने अपने होश खो दिए।
रात को आदित्य बाहर बैठा था और नेहा के घर को देख रहा था। आज उसके पास एक अमीर आदमी आया था।
आदित्य मन ही मन सोचने लगा, "काश, मेरे पास भी इतने पैसे होते। मैं भी उसे खरीद सकता।"
तभी, एक ग्राहक स्टॉल पर आया और उसने ऑर्डर दिया। वह फोन पर किसी से बात कर रहा था, और आदित्य ने सुना कि वह नेहा का मज़ाक उड़ा रहा था।
गुस्से में, आदित्य ने उसके ऑर्डर में कचरा मिला दिया।
कुछ देर बाद, जब वह आदमी नेहा के घर गया और खाना खाया, तो थोड़ी देर बाद दोनों—वह आदमी और नेहा—बाहर निकलकर उल्टी करने लगे।
"शायद उसे सिर्फ ग्राहक नहीं, बल्कि सजा भी मिलनी चाहिए," आदित्य सोचने लगा।
अगली सुबह, नेहा फिर से स्टॉल पर आई और आदित्य से मीट मसाला माँगा।
आदित्य ने कहा, "मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ। मैं तुम्हें खुश रखूँगा।"
नेहा हँस पड़ी, "तुम्हें लगता है कि तुम्हारे पास उतने पैसे हैं कि तुम मुझे खरीद सको?"
आदित्य ने उसे बताया कि उसने जानबूझकर ऑर्डर में कचरा मिलाया था।
नेहा गुस्से में बोली, "तुम्हारी वजह से मेरा एक ग्राहक चला गया! मुझे पैसों की ज़रूरत है!"
आदित्य को बहुत बुरा लगा। उसने अपनी सारी सेविंग निकाली और नेहा पर फेंक दी।
"तुम्हें तो सिर्फ पैसों से प्यार है!"
नेहा ने चुपचाप पैसे उठाए और फिर आदित्य का "पानी निकालने" लगी।
तभी, विक्रम वहाँ आ गया और आदित्य को बुरी तरह पीटने लगा।
"मेरा बैग कहाँ है?" विक्रम चिल्लाया।
आदित्य ने डरते-डरते कहा, "मैंने उसे कचरे में फेंक दिया।"
विक्रम गुस्से में और मारने वाला था कि तभी पुलिस की आवाज़ सुनकर भाग गया।
आदित्य जैसे ही बाहर निकला, उसने देखा कि स्नेहा जख्मी हालत में पड़ी थी। विक्रम ने उसे भी पीटा था, क्योंकि उसे लगा था कि बैग उसके पास है।
कुछ दिनों बाद, नेहा एक अमीर आदमी के साथ शहर छोड़कर चली गई।
स्नेहा अस्पताल से ठीक होकर आई और आदित्य से कहा, "तुमने कभी मेरी कदर नहीं की। अब मैं अपने गाँव जा रही हूँ।"
आदित्य उसे रोक नहीं सका।
वह वहीं खड़ा रह गया—टूटा हुआ, अकेला, और पछतावे में डूबा हुआ।


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नागराज का श्राप: प्रेम, भक्ति और रहस्य से भरी अद्भुत कहानी

दोस्तों, आपने बहुत सी रहस्यमयी कहानियाँ पड़ी होंगी, लेकिन आज जो कहानी मैं आपको पड़ाने जा रही हूँ, वह अनोखी और अविश्वसनीय है। यह कहानी है मेरे और एक सांप के बीच बने ऐसे रिश्ते की, जिसे कोई समझ नहीं सकता था। क्या आपने कभी सुना है कि कोई लड़की एक सांप से प्रेम कर बैठे? आखिर ऐसा कैसे हुआ? इस चौंका देने वाली कहानी को जानने के लिए इसे अंत तक जरूर पड़े, क्योंकि इसकी सच्चाई आपको हैरान कर देगी। 
बहुत समय पहले, एक छोटे से गाँव में मैं, रहती थी। मेरा कोई परिवार नहीं था, लेकिन मेरी सादगी और आत्मनिर्भरता ने मुझे गाँव वालों का प्रिय बना दिया था। मैं खेतों में मेहनत करती और अपने छोटे-से घर में अकेली रहती थी। मेरी भक्ति बहुत गहरी थी। मैं हर सोमवार गाँव के पुराने शिव मंदिर में जाकर पूजा करती और शिवलिंग पर दूध अर्पित करती थी। यह मंदिर गाँव के बाहर जंगल के किनारे स्थित था, जहाँ बहुत कम लोग जाते थे। मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता था। मेरे लिए यह मंदिर भगवान शिव का निवास था और वहाँ जाकर मुझे मन की शांति मिलती थी। एक दिन, हमेशा की तरह मैं मंदिर गई। मैंने शिवलिंग के पास दूध चढ़ाने के लिए जैसे ही लोटा आगे बढ़ाया, अचानक झाड़ियों में हलचल हुई। मैं चौंक गई। मैंने देखा कि एक काला, चमकदार सांप शिवलिंग की ओर बढ़ रहा था। मैं डर के मारे पीछे हट गई, लेकिन सांप ने मुझ पर कोई हमला नहीं किया। वह सांप शिवलिंग के पास जाकर लिपट गया और दूध पीने लगा। मैं यह देखकर अचंभित थी। डर तो था, लेकिन मेरे भीतर अजीब-सी शांति भी महसूस हो रही थी। मैं कुछ देर वहीं खड़ी रही और फिर चुपचाप घर लौट आई। अगले सोमवार जब मैं मंदिर गई, तो फिर वही सांप वहाँ मौजूद था। इस बार भी उसने दूध पी लिया। यह सिलसिला हर सोमवार को चलने लगा। धीरे-धीरे मुझे उस सांप से डर लगना बंद हो गया। अब मुझे लगने लगा कि वह कोई साधारण सांप नहीं है। एक दिन मैं खेतों में काम कर रही थी कि अचानक वही सांप मेरे सामने आ गया। मैं घबराई नहीं, बल्कि मुझे महसूस हुआ कि जैसे वह मुझे कुछ बताने आया हो। उस रात जब मैं सोने गई, तो मुझे एक अजीब सपना आया।
सपने में मैंने देखा कि एक युवक मेरे सामने खड़ा है। वह कह रहा था—
"समीरा, मैं कोई साधारण सांप नहीं हूँ। मैं श्रापित हूँ। अगर तुम 16 सोमवार तक मुझे दूध पिलाती रहोगी, तो मैं अपने असली रूप में लौट आऊँगा।"
मैं अचानक उठ गई। मेरा दिल तेज़ी से धड़क रहा था। क्या यह सिर्फ़ सपना था, या सचमुच कोई संकेत?
मैंने उस सपने को नज़रअंदाज़ नहीं किया। मैंने हर सोमवार मंदिर जाना जारी रखा। अब मुझे इस सांप से डर नहीं लगता था। मैंने उसे अपना मित्र मान लिया था।
15वें सोमवार के दिन जब मैं मंदिर पहुँची, तो वहाँ एक रहस्यमयी घटना घटी। जब सांप ने दूध पिया, तो अचानक मंदिर में हलचल होने लगी। हवा तेज़ हो गई और शिवलिंग से हल्की रोशनी निकलने लगी। मैं घबराकर पीछे हट गई, लेकिन मेरी नज़र सांप पर गई। सांप का शरीर धीरे-धीरे चमकने लगा और कुछ ही क्षणों में वह एक सुंदर, तेजस्वी युवक में बदल गया।
श्रापित राजकुमार
मैं अवाक रह गई। युवक ने मुस्कुराते हुए कहा,
"मैं नागराज आर्यन हूँ। वर्षों पहले मुझे एक ऋषि ने श्राप दिया था कि जब तक कोई कन्या सच्चे मन से मुझे 16 सोमवार तक दूध नहीं पिलाएगी, मैं इस नाग रूप में ही रहूँगा। तुम्हारी भक्ति और निस्वार्थ प्रेम ने मुझे इस श्राप से मुक्त कर दिया है।"मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि यह सच है। लेकिन जब मैंने आर्यन की आँखों में देखा, तो वही अपनापन महसूस हुआ, जो मैं हर सोमवार को मंदिर में अनुभव करती थी।
आर्यन ने मुझसे कहा,
"तुमने मुझे मुक्त किया है। मैं चाहता हूँ कि तुम मेरी जीवन संगिनी बनो।" मेरे दिल में भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। मैंने वर्षों तक इस नाग को अपना मित्र माना था और आज वही मेरा जीवन साथी बनने की इच्छा जता रहा था। क्या यह संभव था? मंदिर में घंटियाँ गूँज रही थीं, मानो स्वयं भगवान शिव इस पवित्र मिलन के साक्षी बन रहे हों। मैंने अपनी आँखें बंद कीं और भगवान शिव का ध्यान किया। जब मैंने आँखें खोलीं, तो देखा कि आर्यन अभी भी मेरे उत्तर की प्रतीक्षा कर रहा था। कुछ पलों की खामोशी के बाद मैंने मुस्कुराकर धीरे से कहा, "हाँ!"
गाँव के शिव मंदिर में भव्य विवाह संपन्न हुआ। मैंने और आर्यन ने अग्नि के समक्ष सात फेरे लिए। गाँव वालों ने भी इस अनोखी प्रेम गाथा को स्वीकार किया और इस पवित्र विवाह का गवाह बने। विवाह के बाद मैं और आर्यन एक नए जीवन की ओर बढ़े। हम एक ऐसे नगर में रहने लगे, जहाँ हमें कोई हमारे अतीत से न पहचाने। वर्षों बाद भी मैं हर सोमवार को शिव मंदिर में दूध चढ़ाने जाती थी, लेकिन अब किसी श्राप को मिटाने के लिए नहीं, बल्कि अपने अटूट विश्वास और प्रेम के प्रतीक के रूप में। 
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्चा प्रेम और निस्वार्थ भक्ति में अपार शक्ति होती है। जब हम सच्चे मन से किसी की सहायता करते हैं, तो स्वयं ईश्वर भी हमारे मार्ग को सरल बना देते हैं।
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Friday, 21 March 2025

मेरठ में खौफनाक वारदात! 😱 पत्नी ने पति को डरम में चुनवाया, सच्चाई जानकर दंग रह जाएंगे! 💔#meerutnews #crimecase #shockingnews #viralnews #husbandwife #crimealert #breakingnews #newsupdate

कभी-कभी रिश्ते इतने उलझ जाते हैं कि उनका कोई हल नहीं होता, और जब इंसान गलत फैसलों में फंस जाता है, तो उसका अंजाम बहुत ही भयानक हो सकता है। आज मैं आपको एक ऐसी ही दिल दहला देने वाली कहानी सुनाने जा रही हूँ, जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया... ये कहानी है प्यार, धोखे और एक ऐसे विश्वास की, जिसने सब कुछ खत्म कर दिया।

मुस्कान, एक खुशमिजाज और चंचल लड़की थी। उसकी जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आया जब उसने पहली बार सौरभ को देखा। सौरभ मर्चेंट नेवी में काम करता था, हैंडसम था, और जिम्मेदार भी। मुस्कान को पहली नजर में ही उससे प्यार हो गया। उसने अपने परिवार से कह दिया कि वो सौरभ से शादी करना चाहती है। पर मुश्किल यह थी कि सौरभ का परिवार इस शादी के खिलाफ था। लेकिन प्यार के आगे कोई बंदिश कब रुकी है? सौरभ ने अपने परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर मुस्कान से शादी कर ली। दोनों मेरठ में एक किराए के मकान में रहने लगे और उनकी जिंदगी काफी खुशहाल थी। कुछ समय बाद उनके घर एक नन्ही सी परी आई—उनकी प्यारी बेटी। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। वक्त बीतता गया। सौरभ अपने करियर के लिए लंदन चला गया और मुस्कान अपनी बेटी के साथ मेरठ में अकेली रहने लगी। इसी दौरान, मुस्कान की मुलाकात एक पुराने दोस्त से हुई—साहिल। साहिल और मुस्कान स्कूल के दिनों के दोस्त थे, लेकिन वक्त के साथ दोनों अलग हो गए थे।
अब मुस्कान अकेली थी और साहिल भी... दोनों की मुलाकातें बढ़ने लगीं और धीरे-धीरे यह मुलाकातें प्यार में बदल गईं। मुस्कान भूल गई कि उसकी शादी हो चुकी थी, उसकी एक बेटी थी, और उसका एक ऐसा पति था जो उसे बेइंतहा प्यार करता था।
एक दिन, मकान मालिक ने सौरभ को बताया कि मुस्कान और साहिल का अफेयर चल रहा है। यह सुनकर सौरभ के पैरों तले जमीन खिसक गई। उसने मुस्कान से सवाल किया, लड़ाई हुई, और फिर उसने तलाक लेने का फैसला कर लिया। लेकिन मुस्कान तलाक के लिए तैयार नहीं थी। उसने सौरभ को समझाया, उसे यकीन दिलाया कि वो अब कभी साहिल से नहीं मिलेगी।
सौरभ ने मुस्कान पर भरोसा कर लिया, लेकिन यह उसकी सबसे बड़ी गलती थी। जैसे ही सौरभ वापस लंदन गया, मुस्कान और साहिल फिर से मिलने लगे। सौरभ अपने करियर में बिजी था, लेकिन उसे अंदाजा भी नहीं था कि उसके पीछे क्या कुछ हो रहा था। 24 फरवरी को सौरभ लंदन से वापस आया था, अपनी बेटी के जन्मदिन के लिए। उसने सोचा भी नहीं था कि यह उसका आखिरी जन्मदिन होगा।
मुस्कान और साहिल ने मिलकर एक खौफनाक योजना बनाई। 3 मार्च की रात, मुस्कान ने सौरभ के खाने में बेहोशी की दवा मिला दी। जब सौरभ बेहोश हो गया, तो मुस्कान और साहिल ने मिलकर चाकू से उसका कत्ल कर दिया।
लेकिन सिर्फ हत्या ही काफी नहीं थी...
साहिल, जो कि नशे का आदी था, अक्सर अजीब-अजीब बातें किया करता था। उसने मुस्कान को भी एक अजीब खेल में फंसा लिया था।
"ये सिर्फ हत्या नहीं होगी, ये वध होगा!" साहिल ने मुस्कान से कहा था।
उसने कहा कि मुस्कान को खुद सौरभ पर पहला वार करना होगा, नहीं तो उसकी आत्मा बदला लेने आएगी।
डर और अंधविश्वास में फंसी मुस्कान ने चाकू उठाया और सौरभ के सीने पर पहला वार किया। इसके बाद साहिल ने कई वार किए, और फिर उसने सौरभ की हथेलियाँ भी काट दीं।
हत्या के बाद, दोनों ने शव को तीन टुकड़ों में काटा और उसे एक बड़े ड्रम में डाल दिया। फिर उसमें सीमेंट भर दिया, ताकि किसी को शव ना मिले।
हत्या करने के बाद, मुस्कान और साहिल एक कैब बुक करके हिमाचल घूमने निकल गए। उन्हें लगा कि कोई उन्हें पकड़ नहीं पाएगा। लेकिन जब उनके पास पैसे खत्म हो गए, तब मुस्कान ने अपनी माँ को फोन कर सारी सच्चाई बता दी।
मुस्कान के माता-पिता ये सुनकर सन्न रह गए। वो खुद पुलिस के पास गए और अपनी बेटी की गुनाह कबूल करवा दी।
जब पुलिस ने जांच की, तो उन्हें साहिल के कमरे से अजीब-अजीब तस्वीरें मिलीं—ब्लैक मैजिक स्टार, पिशाचों की आकृतियाँ, और भगवान शिव की तस्वीर के साथ शैतानी चित्र।
अब मुस्कान और साहिल जेल में हैं। मुस्कान के माता-पिता भी चाहते हैं कि उनकी बेटी को कड़ी से कड़ी सजा मिले।
और यही सच्चाई है...
धोखा देना आसान होता है, लेकिन उसके नतीजे बहुत भयानक होते हैं। अगर सौरभ की एक गलती थी, तो वो यह थी कि उसने अपने रिश्ते को बचाने के लिए गलत इंसान पर भरोसा कर लिया।
"अगर आपके पार्टनर के पास आपके लिए समय नहीं है, तो इसका मतलब ये नहीं कि आप उसे धोखा दें।"
आपको क्या लगता है? क्या मुस्कान को अपने गुनाह की सजा मिलनी चाहिए?
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